Thursday, February 4, 2010

माँ से बेटे की जुदाई

Posted by virendra sethiya

=========== ये कविता में पूरी जिंदगी लिखता रहूँगा =============


देखो ये कैसी है जिंदगी
दिखाते है हम ऐसी है ये जिंदगी



( जिंदगी शुरू होती है माँ के पेट से )

पेट में भी हम खेला करते है
हम उसमे भी रोया करते है
हम माँ से नौ महीने लगे होते है
अब पहली जुदाई आती है
और नल कट दी जाती है

देखो ये पहली छोर है जिंदगी

( अब समय आता है रोने धोने और माँ के दुलार का )

हम दूध पीते जाते है
और रोते रोते सोते है
और इन तीन साल माँ के पास रोज होते है
वह बड़ा होता जाता है
और माँ से दूर होता जाता है


देखो ये दूसरी छोर है जिंदगी

( माँ की बेटे से जुदाई का ६ घंटे का समय )

अब माँ को टेंशन आती है
बेटा रोते रोते स्कुल जाता है
अद्यापक जिंदगी में आते है
वह पढ़ता चला जाता है
और बड़ा होता जाता है
माँ से दूर होता चला जाता है


देखो ये तीसरी छोर है जिंदगी

( माँ की बेटे से जुदाई का समय बढ़ता जाता है )

बेटा टी वी देखा करता है
अब टी वी के साथ दोस्त जिंदगी में आते है
उनके साथ खेला करता है
माँ से दूर होता जाता है

देखो ये चोथी छोर है जिंदगी

(अब बच्चा १० साल का हो जाता है और बहुत बदमास होता है तो फिर )

अब माँ को टेंशन बेटे की होती है
और बेटे को अपनी होती है
बेटा करे बदमाशी तो पापा गुस्सा होते है
और बोर्डिंग भेजा करते है

(अब माँ का जुदाई का समय और बढ़ते जाता है )

माँ रोते रोते पला भारती है
और बेटा सिसकते सिसकते जाता है
माँ जुदाई में आहे भरा कराती है
बेटे को गुस्सा आता है
माँ को सुनाता जाता है

( अब बेटे की जिंदगी में आता है कुछ नया मोड़ )

जब वो पढ़ के घर की और आता है
माँ का बहुत प्यार वो पता है
माँ खुश होती जाती है
और बेटा बड़ा होता जाता है
और माँ से दूर वो जाता है

देखो ये पांचवी छोर है जिंदगी

बेटा सपने पाला करता है
बनू इंजिनियर या फिर कुछ और ये सोचता चला जाता है
और बेटा बड़ा होता जाता है
और माँ से दूर होता जाता है

अभी मैं इतना बड़ा हुआ हु ...